भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ Bhojpuri Star Dinesh Lal Yadav “Nirahua”

भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ और एक्ट्रेस आम्रपाली दूबे की फिल्म ‘बम-बम बोल रहा है काशी’ 10 जून को रिलीज हो रही है। दोनों ने एक-दूसरे के साथ कई फिल्मों में काम किया है। एक फिल्म में लिए दिनेश लाल 40 से 45 लाख रुपए के अलावा प्रॉफिट में शेयर भी मेहनताना के तौर पर लेते हैं। यूपी के गाजीपुर के छोटे से गांव में जन्में दिनेश भोजपुरी फिल्मों की वजह से आज बिहार में सबसे ज्यादा पॉपुलर लोगों में से एक हैं। दिनेश लाल यादव ने अपने नाम के साथ क्यों जोड़ा ‘निरहुआ’…

Dinesh Lal Yadav

-एक इंटरव्यू में दिनेश ने बताया था कि मेरे एल्बम का नाम ‘निरहुआ सटल रहे’ था। उसके बाद से लोग मुझे दिनेश की जगह ‘निरहुआ’ ही कहने लगे।
– उन्होंने बताया कि जब मैं अपनी पहली फिल्म ‘चलत मुसाफिर मोह लियो रे’ कर रहा था तब शूटिंग के दौरान लोग मुझे निरहुआ कहकर ही बुलाया जाता था।

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– कई लोग ऑटोग्राफ लेने आते और मैं दिनेश लाल यादव नाम लिखता तो वे टोक देते कि जब ‘निरहुआ’ इतना पॉपुलर है तो फिर आप अपना नाम दिनेश क्यों लिखते हैं। मुझे भी उनकी सलाह ठीक लगी और मैंने अपने नाम के पीछे ‘निरहुआ’ लगा लिया।
– दिनेश अपने पहले भोजपुरी एल्बम ‘निरहुआ सटल रहे’ को लाइफ का टर्निंग प्वाइंट मानते हैं। इसी ने लोगों के बीच उनको पहचान दिलाई।

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गाना याद नहीं करने पर डांटते थे पिता

– दिनेश ने एक इंटरव्यू में बताया था कि आज मैं जो भी हूं अपने पिता की वजह से हूं, क्योंकि उन्हें पहले से पता था कि मुझे इस जगह तक पहुंचाना है।
– निरहुआ बताते हैं कि सभी बच्चों के पिता पढ़ाई नहीं करने पर डांटते हैं और मेरे पिता गाना याद नहीं होने पर मुझे डांटते थे।
– वो बताते हैं कि जब कभी मेरा शो नहीं चलता था और मैं निराश होकर सिंगिंग छोड़ना चाहता था तब पिताजी मुझे सपोर्ट करते थे।
– अगर उनका सपोर्ट नहीं होता तो मैं इस फिल्ड में आ ही नहीं पाता।

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निरहुआ ने चचेरे भाई से सीखा गाना
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– निरहुआ की शुरुआती पढ़ाई कोलकाता में हुई, लेकिन 1997 में उनके पिता रिटायर हुए और अपने गांव लौट आए। इसके बाद निरहुआ ने गाजीपुर के मलिकपुरा कॉलेज से बीकॉम की पढ़ाई पूरी की।
– निरहुआ के चचेरे भाई विजय लाल यादव बिरहा गायक हैं, इसलिए उनके पिता चाहते थे कि दिनेश भी सिंगर बनें।
– दिनेश ने अपने चचेरे भाई से गाने सीखे और सिंगिंग फिल्ड में कदम रखा।
एल्बम ‘निरहुआ सटल रहे’ को अपने लाइफ का टर्निंग प्वाइंट
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– विजय लाल यादव के सहयोग से निरहुआ ने 2001 में दो म्यूजिक एलबम ‘बुढ़वा में दम बा’ और ‘मलाई खाए बुढ़वा’ रिलीज किया था।
– पहले दो एल्बम से निरहुआ को ज्यादा पहचान नहीं मिली। 2003 में आए म्यूजिक एलबम ‘निरहुआ सटल रहे’ ने उनको स्टार बना दिया।
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– निरहुआ के पहले ही एल्बम ने भोजपुरी जगत में उनको पहचान दिलाई और यह उनके लाइफ का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ।
– इसके बाद 2005 में वे मुंबई चले गए और वहां ‘चलत मुसाफिर…’ में दो गाने गाए।
– उसी फिल्म में डायरेक्टर ने निरहुआ को एक्टिंग करने का भी मौका दिया और उन्होंने छैला बिहारी के दोस्ट का रोल प्ले किया।
पिता करते थे 3500 रुपए की नौकरी
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– दिनेश लाल यादव निरहुआ का परिवार उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के एक छोटे से गांव टंडवा में रहता था।
– सात भाई बहनों में निरहुआ सबसे बड़ें हैं। उनका एक भाई प्रवेश लाल यादव और तीन बहनें थीं।
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– दिनेश के पिता कुमार यादव शुरू में खेती करते थे, लेकिन खर्च बढ़ने के बाद अपने दोनों बेटों के साथ कोलकाता चले गए। हालांकि पत्नी और बेटियों को गांव में ही रहने दिया।
– कोलाकाता जाकर वे गारपाड़ा की झोपड़पट्टी में अपने दोनों बेटों के साथ रहने लगे। वहां एक फैक्ट्री में काम करके 3500 रुपए कमाते थे।
– इन्हीं पैसों में वो घर का खर्च भी चलाते थे और अपने बच्चों के पढ़ाई का खर्च भी उठाते थे।
निरहुआ को भोजपुरी बोलने पर होता है गर्व
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– निरहुआ बताते हैं कि कई लोग अपने भोजपुरी होने की बात छिपाते हैं, लेकिन मुझे इस बात का गर्व हैं कि मैं भोजपुरी भाषा जानता हूं।
– निरहुआ के मुताबिक मुझे हमेशा फक्र होता है कि मैं यूपी-बिहार से हूं।
– भोजपरी एक बड़ी फिल्म इंडस्ट्री है। वो बताते हैं कि पहले भोजपुरी के लिए थिएटर नहीं थे, सेटेलाइट चैनल्स नहीं थे, लेकिन अब ये सब मौजूद हैं और ये भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री को आगे बढ़ाने में मदद कर रहे हैं।

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Former President APJ Abdul Kalam Laid to Rest With Military Honours in Rameswaram

 

मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम सुपुर्द-ए-खाक-
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पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन के नाम से मशहूर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को आज देश ने नम आंखों से आखिरी विदाई थी। सुबह ग्यारह बजे राजकीय सम्मान के साथ उनके पार्थिव शरीर को सुपुर्द-ए-खाक किया गया। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू, भाजपा के नेता शाहनवाज हुसैन, कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद समेत कई गणमान्य लोग मौजूद थे।

पूर्व राष्ट्रपति को आखिरी विदाई देने लोगों का विशाल हुजूम उमड़ पड़ा जिसमें खासकर स्कूल और कॉलेज के छात्र शामिल थे। ‘मिसाइल मैन’ का पार्थिव शरीर रामेश्वरम में कल लाया गया और उन्हें यहां से करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर मंडपम के पास पकारम्बू में दफनाया गया। वहीं, तबीयत खऱाब होने की वजह से तमिलनाडु की सीएम जयललिता शामिल नहीं हो पाईं। जयललिता की जगह उनकी ओर से इस दौरान सात मंत्री मौजूद थे।

इससे पहले रामेश्वरम में उनके पैतृक आवास पर उनके अंतिम दर्शन को बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। कलाम के बड़े भाई के पोते एपीजेएमके शेख सलीम ने बताया, ‘बड़ी संख्या में लोग कलाम के अंतिम दर्शन के लिए उनके आवास पर पहुंचे। हमारे सभी रिश्तेदार भी उनकी अंत्येष्टि में शामिल होने के लिए आए हैं।’ रामेश्वरम रामनाथपुरम जिले के अंतर्गत आता है। चेन्नई से इसकी दूरी 600 किलोमीटर है।

एक साधारण परिवार से ‘राष्ट्रपति’ तक के देश के सर्वोच्च पद तक पहुंचने के उनके सफर को याद करते हुए भीड़ में मौजूद कई लोगों ने बताया कि किस तरह से उन्होंने (कलाम ने) उन्हें बड़े सपने देखने और उसे हासिल करने के लिए प्रेरित किया। रामेश्वरम तक बड़ी लाइन की ट्रेन सेवा लाने, वनरोपण और सुदूर इलाकों में सौर उर्जा उपलब्ध कराने के उनके प्रयासों को भी लोगों ने याद किया।

लोगों ने यह याद करते हुए कहा कि किस तरह से कलाम ने उन्हें स्कूल और कॉलेज में विज्ञान की पढ़ाई की सलाह दी और देश के वैज्ञानिक विकास के लिए योगदान दिया। पूर्व राष्ट्रपति का पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।

लगभग साढ़े तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित मस्जिद तक के इस सफर में कलाम के पार्थिव शरीर के साथ तीनों सेनाओं के जवान चल रहे थे। कलाम के पार्थिव शरीर के साथ इस अवसर पर उनके परिवार के सदस्य मौजूद थे। इन सदस्यों में उनके सबसे बड़े भाई 99 वर्षीय मोहम्मद मुत्थु मीरा लेब्बई मरईकर भी शामिल थे।

मिसाइल मैन’ और ‘जनता के राष्ट्रपति’ के रूप में लोकप्रिय हुए पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का सोमवार शाम आइआइएम में एक व्याख्यान देने के दौरान गिरने के बाद निधन हो गया था।

डॉ. कलाम को शाम करीब साढ़े छह बजे व्याख्यान के दौरान गिरने के बाद नाजुक हालत में बेथनी अस्पताल के आइसीयू में भर्ती कराया गया और उसके दो घंटे से अधिक समय बाद उनके निधन की पुष्टि की गई। डॉ. कलाम अक्तूबर में 84 साल के होने वाले थे।

देश के सर्वाधिक लोकप्रिय राष्ट्रपति माने जाने वाले कलाम ने 18 जुलाई 2002 को देश के 11वें राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला, लेकिन राष्ट्रपति पद पर दूसरे कार्यकाल के लिए उनके नाम पर सर्वसम्मति नहीं बन सकी। वह राजनीतिक गलियारों से बाहर के राष्ट्रपति थे।

कलाम 2002 से 2007 से भारते के 11वें राष्ट्रपति रहे। उन्होंने 1998 में पोखरण-2 के परीक्षण के वक्त अहम भूमिका निभाई थी। उन्हें 1997 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। 1981 में पद्म भूषण और 1990 में उन्हें पद्म विभूषण भी दिया गया था।

कलाम ने कुल 17 किताबें लिखीं थीं और उन पर छह जीवनियां भी लिखीं गईं थी। उन्हें 40 विश्वविद्यालयों से मानद उपाधि से भी सम्मानित किया जा चुका है। 2005 में डॉक्टर कलाम ने स्विटज़रलैंड की यात्रा की थी जिसके बाद वहां वो दिन ‘विज्ञान दिवस’ के रूप में मनाए जाने की घोषणा की गई थी।

Nindopur is a Small and Peaceful Village at Ghazipur UP

Nindopur village is very beautiful place to see the natural things and you can enjoy here. It is a Gram Sabha village in Gram Panchayat. Nindopur is situated near Taraon railway station and the holy river Ganga is only 3 KM distance from this village & chakeri ghat is famous here and enjoy to see Chakeri Mata Mandir, Durga Mata Mandir, Lord Shiv Mandir & Ram Mandir. And the nearest city is Saidpur and its distance around 10 KM and Saidpur also a railway station. Piyari is a small market where Nindopur people’s go for shopping & its dist name is Ghazipur and world’s largest Opium (Afim) factory is situated, its distance from Nindopur around 30 KM.

Now we tell about Varanasi City, it is very holy and beautiful city but lot’s of rush you can feel here because the political parties are failed to fulfilled development work and no any development so for but the people of this city is very simple and no one want to take action on them. Various people come every day but most of the foreign people love this city because many beautiful temples, historical places and universities here to see. The Ganga Ghat and Ganga Aarti is very popular and every people love it. The Great Aarti is organised by Ghat Pujari on Dashashumedh Ghat every evening and enjoy everyone that amazing moments.

Education is very important and here you can see 4 universities Banaras Hindu University (BHU), Mahatma Gandhi Kashi Vidhyapith (MGKVP), Sampurnand Sanskrit Vishwavidyalaya & Uday Pratap College. Banaras Hindu University (BHU) is one of top central university in India and it’s founded by Mahamana Pandit Madan Mohan Malviya. It is spread out around 11 Km. BHU is very beautiful and clean and many Degree and Diploma courses available here and many foreign students study here.